Sads Ngo India - दोस्तों हमारे समाज में बहुत से ऐसे गरीब व बेसहारा लोग हैं जिन्हें वाकई में किसी सहारे की या मदद की जरूरत होती है। हम सभी के आस-पास कहीं ना कहीं ऐसे लोग आपको जरूर दिख जाएंगे जो या तो झुग्गी झोपड़ी मे या छोटे कच्चे मकानो मे रह रहे होंगे। ऐसे लोगों को देख कर हम सभी के मन मे यह ख्याल जरूर आता है कि इनकी जरूरत को कहीं ना कहीं पूरा किया जाए। बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपने घर में कोई पुरानी वस्तुओं, कपड़ों, खिलौनों को इन्हें देना चाहते हैं ताकि यह इनका उपयोग कर सकें, परंतु कहीं ना कहीं समय के अभाव में हम सभी ऐसा कुछ नहीं कर पाते।

घर-घर जाकर सामान इकठ्ठा करके, कर रहे जरूरतमंदों की मदद। “SADS” एनजीओ। sads ngo collects donation from door to door to help needy.

हम सभी कहीं ना कहीं सोचते तो बहुत है परंतु समय ना मिलने की वजह से या बिजी रहने की वजह से हम इस प्रेरणा से दूर रहते हो जाते हैं। समय के अभाव की वजह से हमारे घर रखे पुराने कपड़े व वस्तुएं हम इनको देने की जगह कहीं ना कहीं मजबूरी मे कूड़े में फेंक देते हैं। ऐसी स्थिति को देखते हुए बेंगलूर की एक रहने वाली अनुष्का जैन Anushka Jain ने इस समस्या का हल निकाला है। sads ngo collects donation from door to door to help needy.

Sads Ngo

संस्था SADS NGO की स्थापना के द्वारा अपने लक्ष्य की ओर।

हम बात कर रहे हैं बेंगलुरु की रहने वाली अनुष्का जैन Anushka Jain की जिन्होंने SADS (Share At Door Step) नाम का एक संस्था NGO बनाया है। अनुष्का बताती हैं कि वह अपने NGO के माध्यम से भारत के 8 शहरों में 2.5 लाख से भी अधिक रहने वाले लोगों की सहायता कर रही हैं।

माँ से सीखा दूसरों की मदद करना।

अनुष्का जैन बताती है कि बचपन में वह अपने जन्मदिन के मौके पर अपनी मां के साथ एनजीओ में हर साल जाया करती थी और वहां जाकर गरीब लोगो को कपड़े से लेकर कॉपी-किताब, खाना और अन्य सामग्री बांटकर सहायता करती थी। वह और उनकी मां घर में रखे पुराने सामानों को जो सही हो उन्हे इकट्ठा करके रखती थी, ताकि सही मौके पर वह उन सभी सामानों को साथ ही नए सामानों को एक साथ ले जाकर वहां दान Donate कर सके।

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समय के साथ जब वह बड़ी होने लगी तो वह अपनी मां से पूछती थी कि हम हर साल NGO में जाकर उन सभी को वह सामान क्यों बांटते हैं और उन सामानों का क्या होता है। तब उनकी मां ने उन्हें समझाते हुए बताया कि वह सभी सामान उन सभी जरूरतमंदों के काम आएगा उन्हे पहनने को अच्छे कपड़े मिलेंगे और साथ ही खाने को अच्छा खाना, जो की उन्हे मुनासिब ही नहीं है इसलिए हमेशा दूसरों की निस्वार्थ सेवा करते रहना चाहिए। अनुष्का बताती है यह सब जानकर हमे काफी ख़ुशी का अनुभव होता था।

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एनजीओ को शुरू करने मे हुई परेशानी।

Anushka Jain पेशे से कॉर्पोरेट सेक्टर में काम करती हैं, जिस वजह से उनके लिए SADS को शुरू करना बहुत ही चुनौतीपूर्ण काम रहा। अनुष्का एक मध्यम वर्गीय भारतीय परिवार से ताल्लुक रखती हैं। अनुष्का ने बताया कि जब उन्होंने SADS की शुरुवात करने के लिए अपने परिवार से विचार-विमर्श किया, तब उनके परिवार वालों ने अनुष्का के इस काम में अपनी सहमति नहीं दी और कहा कि “लोग क्या कहेंगे” उसे अपने कॉर्पोरेट सेक्टर में ही काम करने के लिए समझाया। परंतु अनुष्का ने हिम्मत नहीं हारी और हमेशा जब भी उन्हे जॉब से टाइम मिलता अपने परिवार के साथ एनजीओ को शुरू करने के लिए समझाती थी। काफी समय के बाद वह अपने परिवार को समझाने मे कामयाब रही।

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अकेले की SADS NGO की शुरुवात।

उन्होंने बताया कि सन 2015 में उन्होंने SADS Ngo को अकेले ही शुरू किया। ऑफिस के काम पर जाने से पूर्व वह बांटने के लिए सामग्री को इकठ्ठा करके अपने साथ ले जाती थी और ऑफिस के काम से जब छुट्टी हो जाया करती थी, तब वे उन सामानो को जरूरतमंद बच्चों के बीच में औपचारिक रूप से दान donation कर देती थी और इसी वजह से मेरा आत्मविश्वास भी धीरे-धीरे मजबूत होता गया।

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घर-घर जाकर समान इकठ्ठा किया।

उन्होने किसी भी अन्य व्यक्ति की सहायता न लेकर स्वयं ही अपने बलबूते पर SADS की शुरुवात की थी। उन्होंने स्वयं ही सबसे पहले अपने एनजीओ SADS के लिए सामानों का पिक-अप और ड्रॉप किया था। अनुष्का जैन बताती हैं कि वह 120 से भी अधिक दानकर्ताओं के जैसे अनेक व्यक्तियों के घर-घर जाकर सामान इकठ्ठा किया करती थी और उन सामानों को अपने NGO में जाकर गरीब बच्चों के बीच में बांट देतीं थी। आज अनुष्का के NGO में करीब 12 लोगों की कोर टीम काम कर रही हैं।

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संस्थाओ से लेकर कॉर्पोरेट संगठ तक की भागीदारी।

आज के समय में उनके SADS NGO के साथ 200 से भी अधिक NGO जो अलग-अलग शहरों में स्थित हैं साझेदारी के साथ मिल कर काम कर रहा है। जो इसके द्वारा एकत्र collects किए गए सामानो को जरूरतमंदों तक पहुंचाते हैं। आज SADS के पास आठ शहरों में 2.5 लाख से अधिक दानदाताओं के साथ 100 से अधिक गैर सरकारी संगठन हैं। SADS NGO ने स्नैपडील, फ्लिपकार्ट आदि ऑनलाइन प्लेटफार्म के साथ भागीदारी की है। अपनी पहुंच का विस्तार बढ़ाते हुए अनुष्का ने 40 कॉर्पोरेट संगठन के साथ भी भागीदारी की है। इन सभी भागीदारी कंपनी या संस्थाओ से मिलने वाले फ़ंड, Donation और सामानों को जरुरतमंद तक पहुंचाने की बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी को उठाया है।

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पिछले कुछ वर्षों में अनुष्का ने अपने NGO के काम को कड़ी मेहनत और लगन के साथ किया हैं, जिसकी वजह से उनके नाम की पहचान आज सबके सामने एक मिसाल के तौर पर सामने है। हम सभी हमेशा यही सोचते है की इन गरीब, जरुरतमंद लोगों के लिए सरकार क्यों कुछ नहीं करती परंतु हम हमेशा यह भूल जाते है की सरकार भी हम जैसे लोगों से ही चलती है। क्यों ना इन सब बातों से परे हम खुद अपना कदम पहले उठाए और ज्यादा ना कर सके तो कम से कम कुछ तो इन जैसे लोगों के लिए करे।

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