“हम अपनी शिक्षा व्यवस्था की बात करते हुए बस एक ही बात कर सकते है, की यदि सरकार चाहे तो हमारे देश में शिक्षा व्यवस्था बहुत बढ़िया हो सकती है। जो सभी के लिए बहुत जरुरी है। हम बात कर रहे है सरकारी स्कूलों की जिनकी तरफ शायद ही किसी सरकार का ध्यान गया हो। सरकारी स्कूलों के अध्यापको को मोटे वेतन देने पर भी स्कूलों में अध्यापन कार्य शून्य ही रहता है। स्कूलों में व्यवस्था के नाम पर भी वहां की देख रेख व रख रखाव शुन्य ही है।”

सरकारी स्कूल में अपनी बेटी को पढ़ाने वाले कलेक्टर अवनीश शरण।

collector avinish saran teaches daughter government school : परन्तु सरकारी पद पर एक बड़े ओहदे पर होने के बावजूद सरकारी व्यवस्थाओ को अनदेखा करने की जगह उसमे खुद ही सुधार करने के लिए अपनी बेटी को सरकारी स्कूल में दाखिला दिला ताकि वहां की व्यवस्थाएं अच्छी रहे व शिक्षा में उच्च गुणवत्ता आये।

 हम बात कर रहे है छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के कलेक्टर अवनीश शरण जी की जो की 2009 बैच के IAS ऑफिसर है।

सरकारी स्कूल में अपनी बेटी को पढ़ाने वाले कलेक्टर अवनीश शरण।

उन्होंने अपनी बेटी वेदिका शरण का दाखिला अपने ही जिले के एक सरकारी स्कूल में कराया। सरकारी स्कूल का नाम प्रज्ञा प्राथमिक विद्यालय है। सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही प्रत्येक व्यक्ति के मन में टूटी फूटी व सुविधाओं के अभाव से घिरी इमारत की छवि सामने आ जाती है। परन्तु उनका कहना है कि हमें प्राइवेट संस्थाओं के बजाएं सरकारी संस्थाओं पर विश्वास करना चाहिए।

इसके दो फायदे हो सकते हैं-:

  • सरकारी संस्थाओं में बेहतर सुधार हो सकता है,
  • प्राइवेट संस्थाओं की महंगाई और धोखाधड़ी से बचाव हो सकता है।

इससे पहले अवनीश शरण ने अपनी बेटी की प्रारंभिक शिक्षा के लिए आंगनवाड़ी स्कूल में दाखिला करवाया था। अभी कुछ समय पहले इनकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थी जिसमे ये अपनी बेटी के साथ स्कूल के बेंच पर बैठ कर मिड डे मील का आनंद ले रहे थे।

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सरकारी स्कूल में अपनी बेटी को पढ़ाने वाले कलेक्टर अवनीश शरण।

कलेक्टर अवनीश शरण की वजह से बदले सरकारी स्कूल के दिन।

आईएएस ऑफिसर अवनीश शरण इन दिनों छत्तीसगढ़ के बलरामपुर के कलेक्टर हैं। इन्होने अपने जिले के जिला मुख्यालय में स्थित एक सरकारी स्कूल प्रज्ञा प्राथमिक विद्यालय में अपनी बेटी का एडमिशन करवा कर सभी बड़े सरकारी व्यक्तियों में चर्चा का विषय बने हुए है।

यह स्कूल और सभी सरकारी स्कूलों से अलग है, इस स्कूल में काफी सुविधाएं भी है। इस स्कूल में स्मार्ट क्लासेस जैसे कि बच्चों को किसी भी विषय को समझाने के लिए प्रोजेक्टर के साथ LED और बच्चों को पीने के लिए RO का स्वच्छ पानी आदि जैसी सुविधाएं है। उनकी योजना के अनुसार ऐसे ही 6 और सरकारी स्कूल पूरे जिले में खोलने की है।

सरकारी स्कूलों में इन सभी सुविधाओं का अभाव है। इसी कारण से प्रत्येक व्यक्ति अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में भेजते हैं और महंगाई तथा धोखाधड़ी के शिकार हो जाते हैं। यदि इस धोखाधड़ी और महंगाई से बचने की कोशिश करें तथा अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजने का प्रयत्न करें तो ना केवल धोखाधड़ी और महंगाई से बच सकते हैं बल्कि सरकारी स्कूलों में बेहतर से बेहतर सुधार को बढ़ावा दे सकते है।

जरुरत होने पर सभी को मदद करनी चाहिए।

अवनीश जी शिक्षा के मामले में हमेशा सजग रहे है। वह शिक्षा के क्षेत्र में किसी भी समस्या का पूर्ण निवारण करते जाते है। बीते कुछ दिनों पहले जब सरकारी स्कूलो के अध्यापक हड़ताल पर गए थे, तब उन्होंने कहा था की गांव या शहर के पढ़े लिखे वर्ग के व्यक्तियों को इस हालत में मदद करनी चाहिये और सरकारी स्कूलों में जाकर बच्चो की कक्षाएं लेनी चाहिए। जिससे बच्चों का भविष्य बर्बाद ना हो और ना ही किसी भी प्रकार से स्कूल बंद हो। पढ़ाई का कोई नुकसान नहीं हो पाए।

सरकारी स्कूल में अपनी बेटी को पढ़ाने वाले कलेक्टर अवनीश शरण।

अवनीश जी का जीवन काफी संघर्षों से भरा हुआ था। उनका जन्म बिहार के समस्तीपुर जिले के केवटा नामक गांव में हुआ उनके घर मैं बिजली का अभाव रहा। जिसके कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई लालटेन की रोशनी में की। उनके पिता व दादाजी दोनों ही पेशे से शिक्षक थे। इस कारण से उनकी पढ़ाई में किसी भी प्रकार की कोई अड़चन नहीं आई। हालांकि उनके घर में सुविधा का अभाव था, परंतु उन्होंने कभी भी कोई बाधा अपनी पढ़ाई के बीच नहीं आने दी।

साधारणतया सरकारी स्कूल में केवल गरीब वर्गो के व्यक्ति ही अपने बच्चों को ही भेजते हैं, परन्तु अवनीश जी ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया और अपनी बेटी को सरकारी स्कूल में भेजना शुरू कर दिया। अभी कुछ ही समय पहले उनकी एक तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल हुई थी। जिसमे वह अपनी बेटी के साथ सरकारी स्कूल के एक बेंच में बैठकर खुशी खुशी भोजन करते हुए नजर आए थे।

सरकारी स्कूल में अपनी बेटी को पढ़ाने वाले कलेक्टर अवनीश शरण।

सभी सरकारी ऑफिसर को भी यह सराहनीय पहल करनी चाहिए।

हमेशा मीडिया से दूर रहने वाले अवनीश जी जब यह पूछा गया की उन्होंने अपनी बेटी का दाखिला सरकारी स्कूल में ही क्यों कराया तो वह मीडिया में अपना व्यक्तिगत मामला कहते हुए मीडिया से दूरी बना ली। लोगों का मानना है कि एक IAS ऑफिसर अपनी ही बेटी को सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए भेजा जा रहा है तो उस सरकारी स्कूल में अच्छी सुविधाओं और अध्यापकगण होंगे साथ ही यहाँ की सुविधाओं में बढ़ोत्तरी होती ही रहेगी, इसी कारण सरकारी स्कूल पर पढ़े लिखे वर्ग का भरोसा भी बढ़ेगा और सभी धीरे धीरे अपने बच्चो को सरकारी स्कूल में भेज सकेंगे।

सरकारी स्कूल में अपनी बेटी को पढ़ाने वाले कलेक्टर अवनीश शरण।

आज की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए पढ़े लिखे वर्ग को आगे चहिये अपना कुछ समय निकल कर बच्चो को शिक्षित करना एक सराहनीय कार्य को करते हुए उनके भविष्य को बदलाव के लिए अग्रसर करना चहिये।

आईएएस ऑफिसर अवनीश शरण जी की पहल की तरह यदि सभी सरकारी वर्ग के व्यक्ति इस पहल को करे तो शायद ही प्राइवेट स्कूल का जाल जो आज के सभ्य समाज के परिवालो को निगल रहा है वह खत्म हो सकेगा, और हर एक बच्चा चाहे वह गरीब या अमीर का हो अच्छी शिक्षा ले सकेगा।

 

 


आप कलेक्टर अवनीश शरण के ट्विटर पेज पर क्लिक कर के जा सकते है।


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