Journalist Prashant Kanojia Success story - दोस्तों हमारे देश में हर व्यक्ति एक अच्छी इज्जत की नौकरी और अच्छा पैसा पसंद करता है चाहे वह गरीब हो या अमीर इसी तरह हमारे देश में झुग्गी झोपड़ियां मे रहने वाले हर व्यक्ति मेहनत के साथ कमाते हुए अच्छी जिंदगी का सपना बुनते हैं परंतु ऐसा बहुत ही कम संभव हो पाता है क्योंकि अधिकांश लोग ऐसे लोगों को अच्छा पैसा कमाने का मौका ही नहीं देते परंतु कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो अपनी मेहनत पर अपने आप से भी ज्यादा भरोसा करते हैं और उन्हें रुकने वाले हर व्यक्ति के बीच से निकलकर सफलता के शिखर तक पहुंचते हैं। दोस्तों आज हम ऐसे ही एक व्यक्ति के बारे में बात करेंगे जिन्होंने मुंबई शहर की झुग्गी झोपड़ियों से निकलकर भारत के सबसे सक्सेसफुल पत्रकारों में अपना नाम शुमार किया और हम सभी के सामने जीते जाते एक मिसाल के रूप में सामने आए।

दोस्तों हम बात कर रहे हैं मुंबई के स्लम क्षेत्र में रहने वाले Journalist Prashant Kanojia की जिन्होंने कड़ी मेहनत के बल पर सफलता के शिखर तक पहुंचने का सफर तय किया है। तो चलिए बात करते हैं Prashant Kanojia जी से कि किस तरह से उन्होंने स्लम एरिया से निकलकर एक नामी पत्रकार बनकर इतनी बड़ी सफलता हासिल की है। Story.

Prashant Kanojia

पारिवारिक स्थिति।

मुंबई के एक गरीब और दलित परिवार से ताल्लुक रखने वाले Prashant Kanojia का जन्म साकीनाका नाम के एक स्लम एरिया में हुआ था जहां पर वे परिवार के साथ (10 X 8) के एक कमरे में अपना जीवन का गुजारा करते थे। उनके घर में गरीबी का इतना आतंक था कि उन्हें कभी-कभी रात में भूखा ही सोना पड़ता था। उनके पिता एक साधारण नौकरी करते थे। उनके पिता हमेशा यही सोचते थे कि बच्चे पढ़-लिखकर परिवार से गरीबी के आतंक को हमेशा के लिए खत्म कर देंगे जिसके लिए वे दिन रात कड़ी मेनहत करते थे, लेकिन वह ये नहीं जानते थे कि गरीबी को कल्पना से खत्म या कम नहीं किया जा सकता, उसके लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।

Prashant ने की अपने जीवन में कई नौकरियां।

समय के साथ प्रशांत गरीबी कि मार झेलते हुए कुछ बड़े हुए तो उन्हे पिता के द्वारा कि जा रही मेहनत का अंदाजा हुआ। उन्होने अपने पिता का हाथ बटाते हुए कार गैराज मे गाड़ियो को सही करने का काम किया। कुछ साल के बाद एक मोबाइल कंपनियों के पोस्टर दिवाल पर चिपकाने का काम करीब 75/- रूपये की दिहाड़ी में किया लेकिन फिर भी वह अपने परिवार कि आर्थिक स्थिति को बेहतर नहीं बना पा रहे थे।

काम के साथ शिक्षा की सलाह।

जब प्रशांत एक ऐसी कंपनी में काम कर रहे थे जहां पर उन्हें काम करने वाले अन्य दो सदस्यों ने उन्हें काम के साथ साथ पढ़ने कि भी सलाह दी क्योंकि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिये वे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकते हैं। प्रशांत जानते थे कि उन्हे परिवार कि स्थिति को सुधारने के लिए काम के साथ पढ़ने का भी काम करना है ताकि वह थोड़ा बहुत पढ़ कर अच्छी नौकरी कर सके। उस समय उनके पिता की मात्र 3,000/- रूपये महीने की आमदनी थी जिससे घर का खर्च चलना मुश्किल था। घर की आर्थिक तंगी की वजह से प्रशांत ने किसी तरह अपने घर की जिम्मेदारी निभाने के साथ अपनी 12वीं की परीक्षा पास की। साथ ही पढ़ाई के साथ उन्होंने कई जगह पर नौकरियां भी करते रहे।

Prashant Kanojia

शुरुवाती शिक्षा।

प्रशांत की शुरुवाती शिक्षा कुछ अलग तरीके से शुरू हुई थी। घर की आर्थिक हालत सही ना होने के वजह से पिता प्रशांत को सरकारी स्कूल मे डालना चाहते थे परंतु इधर प्रशांत बच्चो को स्कूल जाते हुए देखा करते थे और उन्हे इंग्लिश मे बात करते सुना करते थे। एक बार पूछने पर बच्चो ने बताया वह इंग्लिश मीडियम स्कूल मे पढ़ते है बस फिर क्या प्रशांत ने डरते हुए अपने पिता से कहा था की वे एक अंग्रेजी माध्यम से पढ़ना चाहते है। जब उनके पिता को अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय की फीस के बारे में पता चला तो वे बहुत परेशान हुए और सोचने लगे कि वे किस तरह से उन्हें अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय में पढ़ायेंगे लेकिन इसके बावजूद भी उनके पिता ने किसी तरह से उनका एडमिशन मुंबई के एक अंग्रेजी माध्यम विद्यालय मे करवा दिया।

परन्तु कुछ सोसाइटी के मेंबर और समाज के लोगों को इस बात से आपत्ति होती थी कि एक गरीब और दलित परिवार से ताल्लुक रखने वाले अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय में कैसे पढ़ सकता है लेकिन इसके बावजूद भी उनके पिता ने सोसाइटी के मेंबर और समाज की बातों को अनसुना करके उन्हें अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय में अपनी कड़ी मेहनत के साथ पढ़ाया।

जातिवाद और भेदभाव को लेकर होता था व्यवहार।

प्रशांत बताते हैं कि उनके साथ शुरू से ही जाति को लेकर ताने दिये जाते थे। जब वे पढ़ने के लिए स्कूल जाते थे, तब उनके स्कूल में उनके साथ पढ़ने वाले सहपाठी अक्सर जातिवाद को लेकर भेदभाव करते थे, कोई भी उनका दोस्त बनना नहीं पसंद करता था। सभी उन्हे भेद भाव भरी नजरों से देखते थे। जिसकी वजह से वे काफी परेशान रहने लगे थे।

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पिता ने दी एक बेहतर सलाह।

जब उनके पिता ने उनसे परेशानी की वजह पूछी, तब उन्होंने काफी दुखी होते हुए बताया की स्कूल में किस तरह से उनके साथ पढ़ने वाले सहपाठी और अध्यापकगण जातिवाद और भेदभाव को लेकर व्यवहार करते थे, तब उनके पिता ने उनसे कहा कि हमें इन सभी बातों को भूलकर केवल अपनी पढ़ाई और जीवन में आगे बढ़ने के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि लोग जातिवाद और भेदभाव के बारे में ही बात करेंगे जिसे हम रोक नहीं सकते, साथ ही ये भी कहा कि हमारे सामने कैसी भी परिस्थिति हो चाहे हम अमीर हो या गरीब, पढ़े-लिखे हो या न हो लेकिन हमें सिर्फ और सिर्फ अपने पहनावे पर जरूर ध्यान देना चाहिये, क्योंकि एक अच्छे पहनावे की वजह से ही इंसान की पहचान होती है और लोग उनसे काफी प्रभावित होते हैं।

Prashant Kanojia

कुछ बड़ा करने का था सपना।

प्रशांत के मुताबिक वे स्लम एरिया के रहने वाले हैं जहां पर लोग रिक्शा चलाने का, ठेला लगाने का मजदूरी आदि का काम करते हैं लेकिन उनके मन में कुछ बड़ा काम करने की इच्छा थी। वे बताते हैं कि मुंबई के स्लम एरिया में रहने वाले युवा या तो मुकेश अम्बानी की तरह या फिर दाऊद इब्राहिम बनने का सपना देखते हैं, परन्तु उनके जीवन का लक्ष्य कुछ और ही था, जब वह एक कंपनी मे छोटा मोटा काम के लिए लगे थे तब उनके साथ काम करने वाले सदस्यों ने उनके पढ़ने के और आगे बढ्ने के जज्बे को देखा और उन्हे आगे पढ़ने की सलाह दी। प्रशांत की आर्थिक हालत को समझते हुए वह उन्हे अपने साथ कॉलेज में ले गए।

जीवन में आया टर्निंगपोंट।

कॉलेज में आने के बाद उन्हें कई कोर्सेज के बारे में पता चला, तब उन्होंने पत्रकारिता विषय Mass Communication चुना क्योंकि उसमे उन्हें ज्यादा नहीं पढ़ना था। साथ ही वह अपने काम पर भी ध्यान आसानी से ध्यान दे सकते थे। जब उन्होंने Mass Communication के पहले सैमेस्टर का एग्जाम दिया तो उन्होंने उसमें टॉप किया और यहीं से उन्हें पत्रकार की पढ़ाई के प्रति दिलचस्प रखने लगे जिस वजह से उनके किस्मत की तकदीर बदलने लगी।

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Journalist बनने की प्रेरणा कैसे मिली

जब उन्होंने Mass Communication के एग्जाम में टॉप करके आगे बढ़ गए और साथ ही उनका रुझान भी पत्रकारिता की और झुकने लगा। वह टीवी पर कई बड़े Journalist को देखते थे उनकी बात करने का तरीका और विषय पर मजबूत पकड़, उनकी story line से उन्हे काफी कुछ सीखने को मिलता था। Prashant Kanojia उस समय वह टीवी पर रविश कुमार को देखते थे उनका शो देखते थे। वहीं से उन्हें जर्नलिज्म के प्रति प्रेरणा मिली।

Prashant Kanojia

मुंबई से दिल्ली का सफर और पढ़ाई के लिए लोन इंतजाम।

जब उनको इस बात का पता चला कि रविश कुमार की तरह Journalist बनने के लिए उन्हें दिल्ली के Indian Institute of Mass Communication ( IIMC ) में दाखिला लेकर वहां से पढ़ाई करनी पड़ेगी और इसके लिए उन्हें मुंबई से दिल्ली की ओर प्रस्थान करना पड़ेगा परन्तु उन्होंने सब बातों का अनुसना करके अपने लक्ष्य की और बढ्ने का फ़ैसला लिया। दिल्ली में आने के बाद उन्होंने जैसे-तैसे IIMC में दाखिला के लिए एंट्रेंस एग्जाम पास कर लिया।

एंट्रेंस एग्जाम पास करने के बाद उनके journalist बनने के सपने मे पंख लगने लगे थे की अचानक उनके सामने IIMC की फीस को लेकर सबसे बड़ी समस्या आ खड़ी हुई जिसकी वजह से वे बहुत परेशान हो गए, तब उनके परिजनों ने उनकी परेशानी का कारण जानने के बाद किसी तरह से IIMC की फीस का इंतजाम करने के लिए 10% का लोन लेकर उन्हें IIMC में पढ़ने के लिए पूरा- पूरा सपोर्ट किया। Prashant Kanojia की मुंबई से दिल्ली तक की story मे कई मुश्किलें आई थीं परन्तु उन्होंने अपने मजबूत इरादे से अपने सफर को आसान बना दिया।

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दिल्ली से मुंबई वापस जाने के लिए किया रूख।

जब वे अपने हॉस्टल मे रहा करते थे उनके साथ फिर वही समस्या सामने आने लगी। उसी हॉस्टल में रहने वाले अन्य लोग उनकी जाति को लेकर कमेंट्स करते थे। इन कमेंट्स की वजह से वे बहुत परेशान हो जाया करते थे और कभी-कभी आत्महत्या करने के बारे में सोचते थे, लेकिन आत्महत्या करने से उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाता क्योंकि आत्महत्या इंसान को खत्म कर देती है परंतु समस्या को नहीं। इन सब परेशानी की वजह से यह काफी दिक्कतों मे रहने लगे। उन्होने मन मे सोच लिया की उन्हे अब आगे नहीं जाना है। दिल्ली से वापस मुंबई जाने के बारे मे उन्होने विचार किया। परंतु अपने परिवार की परिस्थिति की वजह से वह रुके और सारी परेशानी को झेलते हुए अपनी पढ़ाई पर ध्यान देते रहे।

Prashant Kanojia

कई मीडिया कम्पनी में नौकरी के लिए दिए इंटरव्यू।

जब वे मीडिया में अपनी पहली नौकरी के लिए गए तब वहां पर भी इंटरव्यू लेने वाले शख्स ने उनसे नाम के साथ-साथ जाति के बारे में पूछा, तब उन्होंने सोचा कि मीडिया मे ऑफिस जीतने शानदार होते है, उस ऑफिस में काम करने वाले शख्स का मन कुछ और ही होता है। इस तरह से उन्होंने दिल्ली के कई Media Company में इंटरव्यू देने गए लेकिन सभी जगह से उनसे जाति के बारे में पूछते थे, तब वे परेशान होकर वापस दिल्ली से मुंबई की तरफ रूख किया।

उनकी यहीं पर समस्या खत्म नहीं हुई, दिल्ली से वापस मुंबई आने के बाद सभी लोग उन्हे अब ज्यादा परेशान करने लगे ताने मारने लगे और कहने लगे कि दिल्ली में कौन सा बड़ा काम कर लिया और कभी-कभी उनकी वजह से उनके माता-पिता को भी ताने सुनने पड़ते थे तब वे बहुत भावुक हो जाया करते थे परन्तु कुछ कहते नहीं थे।

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WIRE MEDIA में इंटरव्यू देने के लिए गए दिल्ली।

ज़िंदगी मे आगे बढ़ने के लिए कोई न कोई काम तो करना ही था लेकिन अब उनके सपने बड़े होने लगे थे। प्रशांत बताते हैं कि जब वे इंटरनेट पर नौकरी के लिए सर्च कर रहे थे, तो उन्हें WIRE MEDIA कंपनी के बारे में पता चला जिसमे हिंदी में काम करने वाले लोगों के लिए Vacancy निकली हुई थी परन्तु वे केवल मराठी और अंग्रेजी में बोलना व लिखना जानते थे। उन्होंने हिंदी में अपनी तैयारी शुरू कर दी। उन्होने हिन्दी मे एक आर्टिकल लिख कर अपने रेस्यूम के साथ कम्पनी के E-mail पर भेज दिया। कुछ समय पश्चात् उन्हें कम्पनी की ओर से E-mail का जबाव मिला और उन्हें इंटरव्यू के लिए दिल्ली में बुलाया गया।

एक बार फिर से उन्होंने वापस मुंबई से दिल्ली की ओर रूख किया लेकिन इस बार उन्होंने दिल्ली जाते समय सोच लिया था कि जिस कंपनी में वे इंटरव्यू देने के लिए जा रहे हैं यदि उसमे उनकी नौकरी नहीं लगती तो वे वहीं यमुना नदी में कूदकर अपनी जान दें देंगे, क्योंकि वे मुंबई वापस जाकर लोगों की कड़वी बातों को सुनना नहीं चाहते थे।

Prashant Kanojia

WIRE MEDIA में लगी नौकरी।

प्रशांत के मुताबिक जब उन्होंने The Wire मीडिया के संस्थापक सिद्धार्थ वर्धराजन के सामने इंटरव्यू दिया, उन्हें लगा कि उनसे जाति को लेकर सवाल करेंगे परन्तु उनके सामने कुछ भी इस तरह के सवाल नहीं किया जिन्हे वे पहले से सुनते आ रहे थे। उनका इंटरव्यू सही रहा उन्हे जल्द ही जॉइन करने के लिए कह दिया गया। कुछ वर्षो के अंदर ही Prashant Kanojia ने अपनी मेहनत और लगन से देश के नामी पत्रकारों Journalist की लिस्ट मे अपना नाम शुमार कर सभी के लिए एक Success Story कायम की है।

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दोस्तों जीवन में समस्या कम हो या फिर ज्यादा उस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए हमें स्वयं लड़ना होता है। आज जिस तरह से Prashant Kanojia ने अपने जीवन की सभी तरह की समस्या चाहे वह घर की आर्थिक तंगी हो या फिर समाज में हो रहे जातिवाद भेदभाव इन सभी से निपटकर आज वे एक सफल Journalist है और आज उनकी खुद की लाइफ की story सभी को motivated करने के लिए जरूरी है।

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