दोस्तों हमारे देश में गरीबी का तांडव इस तरह से फैला हुआ है कि लाखों लोग अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करके दो वक्त की रोटी जुटा पाते हैं। घर न होने के कारण सड़को के किनारो पर ही डेरा डाले वही पर रहने लगते है। गंदगी की चपेट में ये खुद व इनका पूरा परिवार आता है।

गरीब बच्चों के लिए IAS ऑफिसर की पत्नी अपने बंगले में चला रही है क्लास।

wife of IAS officer is running class in her bungalow for poor childrenwife of IAS officer is running class in her bungalow for poor children  कमाने के लिए तो पूरा दिन रिक्शा चला कर या भीख मांग कर एक वक्त की रोटी ही कमा पाते है। पुरे परिवार को पालने के लिए इनके बच्चो को भी इन्ही के कामो में लगना पड़ता है। इन गरीब परिवार के बच्चे आपको ट्रैफिक सिग्नल पर भीख मांगते हुए, रोड पर खिलौने बेचते हुए, पार्किंग में लगी गाड़ियों को साफ करते हुए, या फिर चाय की दुकान में काम करते हुए नजर आ जाएंगे। इन बच्चों में से अधिकतर सड़क के किनारे फुटपाथ पर अपनी रात काटते हैं। यह उनकी रोज की दिनचर्या में शामिल हो गया है।

आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जो इन गरीब बच्चों और उनके परिवारों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं। उन्होने ऐसे बच्चो की जिंदगी में परिवर्तन करने के लिए एक छोटी सी पहल की है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के IAS ऑफिसर जितेंद्र कुमार की धर्मपत्नी सीमा गुप्ता जो इस समय सरकारी बंगले में गरीब बच्चों की भविष्य की परवाह करते हुए वहाँ इनको पढ़ाने के लिए क्लासेस चलाती हैं। इसके अलावा बच्चों को पहनने के लिए कपड़े और अच्छे अच्छा भोजन भी दे रही हैं। यह भी बता दे कि सीमा गुप्ता ने 25 बच्चों के लिए इन सब की जिम्मेदारी उठा रखी है।

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पढ़ाने की प्रेरणा फिल्म के द्वारा।

आपको यह भी बता दें कि उनको इस बात की प्रेरणा हिचकी” फिल्म देख कर के आई। इस फिल्म में हिचकी की बीमारी और अमीरी गरीबी के अंतर को दिखलाया गया है। सीमा जी ने जीवन की सुख सुविधाओं से वंचित रहने वाले बच्चों की खुशी के लिए काम करने का फैसला किया। बताया जा रहा है उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के विभूति खंड में स्थित बंगले में आपको लगभग ऐसे 25 बच्चे खेलते हुए, पढ़ते हुए, खाते पीते, नजर आ जाएंगे। सीमा के मुताबिक एक संस्था खोलना और समाज में नाम कमाने के लिए सभी करते हैं पर उन्होंने अपनी जिंदगी में कुछ अलग करने की चाहत है।

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बंगले में पढाने और खेलने का पूरा इंतजाम।

सीमा जी कहती है की फुटपाथ पर रहने वाले इन मासूम बच्चों को भी अच्छी जिंदगी बिताने का अधिकार है। उनके लिए सरकार तो काम कर रही है परन्तु प्रत्येक व्यकित को और समाज को भी अपनी जिम्मेदारी उठानी चाहिए। सभी को मिल कर इनके लिए कुछ न कुछ करते रहना चाहिए। इस वजह से उन्होंने सड़क किनारे फुटपाथ पर रह रहे बच्चों को न केवल अपने बंगले में पढाने का पूरा इंतजाम किया अपितु उन बच्चों के लिए अच्छे-अच्छे कपड़े और भोजन की भी व्यवस्था की। इसके साथ ही बंगले में बने गार्डन मैं इन बच्चों के लिए खेलने के लिए भी सामान मौजूद करवाया।

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बच्चो के घर से सुरक्षित लाना और छोड़ना।

सीमा ने बताया कि जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित बच्चों को भोजन कराना ही भगवान को भोग लगाने के ही समान है। इनके काम के लिए सीमा के पति भी उनकी सहायता करते हैं। उनके पति ने अपने प्राइवेट कार के साथ एक ड्राइवर को भी इस काम मे लगा दिया है। बच्चो को उनके घर से सीमा जी के बंगले तक लाने और वापस उनके घर तक छोड़ने का काम कार के द्वारा आसानी से हो जाता है। जिससे बच्चो को काफी आसानी और रोज कार में सफर करने का मौंका भी मिल जाता है।

बच्चो की माँ और टीचर दोनों है सीमा जी।

उनके यहां पढ़ने वाला लड़का आदित्य बताया कि पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित गोमती नगर के फुटपाथ पर रात बिताता था और दिन भर आवारागर्दी करके अपना समय काटता था। कभी कभी उसे किसी ढाबे में काम मिल जाता तो उस काम को पूरा करके कुछ रुपए कमा लेता था। उसके माता-पिता भी मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालते थे और जब से मैडम जी ने उसे पढ़ाना शुरू किया तब से उसकी जिंदगी बिल्कुल बदल गई है। वह कहता है कि मैडम ही उसकी मां और टीचर दोनों हैं। सीमा जी के अनुसार उनका अगला टारगेट इन बच्चों का दाखिला एक अच्छे स्कूल में कराने का है जिससे इन बच्चों की पढ़ाई जारी रहे। इसके लिए उन्होंने अपने पति से कहा है।

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बच्चो के साथ दिनचर्या।

सीमा ने बताया कि वह प्रत्येक दिन प्रातः नाश्ता के बाद वह अपने बंगले के गार्डन में बने क्लासेस में पहुंचकर बच्चों को पढ़ाना शुरु कर देती हैं। दोपहर 1:00 बजे बच्चो का लंच का समय फिक्स है। वह बच्चो को प्यार से खाना खिलाती है। सीमा ने बताया कि यह 25 बच्चों के जीवन में परिवर्तन करने की उनकी पूरी कोशिश है जिससे वह पूरी तल्लीनता के साथ जुड़ी हुई है।

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सीमा की यह पहल पूरी दुनिया के लिए एक पहचान बन गई है। समाज में प्रत्येक व्यकित का यह फर्ज होता है की उसने जो भी समाज से सीखा है उसे जरूरतमंद में बांटे और यदि ऐसा होता तो वाकई में दुनिया में यह अभूर्तपूर्व कदम होगा। यदि पूरी दुनिया में प्रत्येक शख्स इस तरह की पहल शुरू करें तो हो सकता है आने वाले समय में कोई भी बच्चा भीख मांगता नजर नहीं आएगा और गरीबो की संख्या में काफी हद तक परिवर्तन आएगा।

 


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