दोस्तों जहां लोग नौकरी के लिए दिन रात मेहनत करते रहते हैं, और नौकरी ना लगने पर अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा गलत कदम उठा लेते हैं। वहीं असम के शिवनगर गांव के रहने वाले 30 वर्षीय हिरण्मय गोगोई जिन्होंने बचपन में ही अपने परिवार को खोने के सदमे से निकलने के बाद अपने और आसपास के खस्ताहाल में रहने वाले लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने में और रूरल इकनॉमिक ( गांव की अर्थव्यवस्था ) को बदलने के लिए अपने गांव से 10 रुपए से बिजनेस की शुरुवात कर 300 से अधिक लोगों को रोजगार देकर उनकी जिंदगी को बेहतर बना दिया है।
गोगोई ने 10 रुपये में गाँव से शुरू किया बिजनेस, आज शहर में कमाते है लाखो रुपये।
Gogoi started business in 10 rupees now earns lakhs of rupees
असम के शिवनगर गांव के रहने वाले 30 वर्षीय हिरण्मय गोगोई जिन्होंने बचपन में ही अपने परिवार को खोने के सदमे से निकलने के बाद अपने और आसपास के खस्ताहाल में रहने वाले लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने में और रूरल इकनॉमिक (गांव की अर्थव्यवस्था) को बदलने के लिए अपने गांव से 10 रुपए से बिजनेस की शुरुवात कर 300 से अधिक लोगों को रोजगार देकर उनकी जिंदगी को बेहतर बना दिया है।
10 रूपये से शुरुवात
वह बताते हैं कि सन 2016 मे “गांव का खाना“ व्यवसाय की नींव रखी। उनके व्यवसाय की शुरुआत में उनके पास एक गैस सिलेंडर और एक स्टोव ही था। इसके साथ उनके घर में ही चावल, दाल और सब्जिओ से व्यवसाय की शुरुआत की गई वह बताते है कि उनके घर में नमक नहीं तो उसके लिए केवल मात्र 10 रुपए खर्च करने पड़े। इसके अलावा सभी खाद्य सामग्री और मसाले उनके घर से ही मिल गए थे।
ऑनलाइन किया “गांव का खाना”
शुरु-शुरु में गोगोई अपने घर से खाना बनाकर शहर के लोगों को बेचा करते थे। गोगोई के व्यवसाय के बढ़ने के साथ ही और अधिक अवसरों की तलाश में उन्होंने शहर में ही गांव के घर जैसा खाना बनाकर शहर में लोगों तक पहुंचाना शुरू कर दिया।
“गांव का खाना” व्यवसाय का गोगोई ने पहले Facebook के माध्यम से प्रचार किया। जल्द ही उनके पास Facebook के द्वारा मात्र 120 रुपये का पहला ऑर्डर आया। जब उन्हें अपने इस व्यापार से थोड़ा बहुत फायदा होने लगा तब उन्होंने ऑनलाइन वेबसाइट बनाने के बारे में विचार करके “गांव का खाना” बिजनिस को ऑनलाइन कर दिया।
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पहले साल 6 लाख का टर्नओवर
“गांव का खाना” को वर्ष 2016 के जून महीने में लांच किया गया। उसके बाद उन्होंने अपने असम में 6 आउटलेट और खोलें।
गोगोई के बिजनेस का टर्नओवर मात्र एक साल में ही 6 लाख रुपये हो गया है। गोगोई ने आने वाले फाइनेंसियल ईयर में 10 लाख रुपए से अधिक टर्नओवर का लक्ष्य रखा है। गोगाई ने अपने “गांव का खाना” का व्यवसाय का विस्तार करते हुए अब उसने वेज खाना के साथ वेज और नॉनवेज पिकल्स को भी शामिल किया है। उन्होंने “गांव का खाना” का विस्तार करने के लिए 50 डिस्ट्रीब्यूटर को भी शामिल किया है।
उन्होंने साक्षात्कार में बताया कि एक सड़क दुर्घटना में उनके भाई की मृत्यु 15 वर्ष की उम्र में ही हो गई थी। इस दुर्घटना के बाद उनकी मां इस सदमे को बर्दाश्त ना कर सकी और 3 वर्ष के बाद 2012 में उनकी भी मृत्यु हो गई। इसके बाद अपने भाई और मां की मृत्यु वह देखकर वह एकदम से टूट गए। उसके बाद उन्होंने विचार किया देश और दुनिया में उनकी मां जैसी और भी करोड़ो मां है, जिनकी सुविधाओं के अभाव में खस्ताहाल जिंदगी है और अपने परिवार का ठीक प्रकार से ध्यान नहीं रख पाती। उन्होंने अपने इस विचार से अपने गांव में कुछ अलग करने की ठानी।
गोगोई के मुताबिक उनकी मां के बीमार हो जाने पर उनके घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी की मां का ठीक प्रकार से इलाज हो सके। जिसके कारण गोगोई ने अपनी पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया। गोगोई के पिताजी के लगभग सभी बैंक अकाउंट भी खाली हो चुके थे। इस वजह से उन्होंने हायर एजुकेशन न करने का निर्णय ले लिया। क्योंकि उनका मानना था कि हायर एजुकेशन करने से बेहतर है यदि कोई टेक्निकल कोर्स किया जाए तो उससे अधिक फायदा होगा।
टेक्निकल कोर्स से की शुरुवात
तब गोगोई ने एसटीसीडब्ल्यू 95 बेसिक सेफ्टी ट्रेनिंग के कोर्स की उचित जानकारी प्राप्त करके उस में दाखिला लिया। इस कोर्स के पूरा हो जाने के बाद उन्होंने मर्चेंट नेवी की ट्रेनिंग ली। गोगोई ने बताया कि उनके इस टेक्निकल कोर्स में लगभग 70,000 रुपये का खर्चा आया।
अपने इस टेक्निकल कोर्स को पूरा करने के बाद वह मलेशिया में नौकरी करने के लिए चले गए। हालांकि 2 महीने मलेशिया में नौकरी करने पर उनका मन वहां नहीं लगा और वह मलेशिया से वापस भारत आ गए और कोलकाता के BPO में लगभग डेढ़ वर्ष तक नौकरी कि और कुछ पैसे जोड़ कर अपने गांव वापस लौट गए।
आपको यह भी बता दें कि एक वेबसाइट के अनुसार नियुक्ति नाम की मल्टी सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ने हिरण्मय गोगोई को अपनी कंपनी में सीईओ पद के लिए नियुक्त किया है। जो कि सबसे कम उम्र के सीईओ बनने वालों में शामिल हो गए हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें 2017 में सरकार ने इंटरप्रेन्योर अवार्ड से पुरस्कृत किया गया था, जो कि छोटे और लघु व्यवसाय करने के लिए किया जाता है।
स्टार्टअप से किसानो को मुनाफा
“गांव का खाना” से किसानों को भी शामिल किया गया है। Google की सहायता से किसान अपनी सब्जियां बिना केमिकल के सीधे ग्राहकों को बेचने का काम आसानी से कर सकती हैं गांव और शहर के लोग गोगोई के बनाए हुए वेबसाइट में उस गांव और किसान का नंबर प्राप्त कर अपना आवश्यक खाद्य सामग्री का ऑर्डर बुक करा सकते हैं। किसानों की मदद के बदले में गोगोई 1 रुपये महीने की फीस लेते हैं।
“गांव का खाना” की फ्रेंचाइजी की शुरुवात
गोगोई ने “गांव का खाना” की फ्रेंचाइजी भी देना शुरु कर दिया है। जल्द ही “गांव का खाना” की फ्रेंचाइजी गाजियाबाद, आगरा और दिल्ली मैं भी शुरू होने वाली है। कोई भी व्यक्ति 1 लाख खर्च करके गोगोई से “गांव का खाना” की फ्रेंचाइजी ले सकता है, और यदि वे बेरोजगार हैं तो वे इसकी फ्रेंचाइजी फ्री में भी ले सकता है। “गांव का खाना” के द्वारा गोगोई का एक ही उद्देश्य है की लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके।
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यदि भारत में और दुनिया के किसी भी हिस्से में रहने वाले व्यक्ति गोगोई की सोच की तरह काम करें तो दुनिया में कहीं भी और किसी भी व्यक्ति को शायद ही बेरोजगारी और भुखमरी का शिकार होना पड़े। किसान भी बिना किसी दलाल की सहायता से अपनी ताज़ी हरी सब्जियां सीधे ग्राहकों को बेच सकते है।
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